SRDnews लेके आया है आपके लिए corona virus से संबधित महत्वपूर्ण जानकरी 56 साल पहले किस महिला वैज्ञानिक ने की थी कोरोना वायरस की खोज ? क्या आपको पता है, कि इंसानों में सबसे पहले कोरोना वायरस की खोज किसने की थी ?
- कैसे पता चला था इस वायरस का ?
- इस वायरस की पहली तस्वीर किसने ली ?
- क्यों है डॉ. जून अल्मीडा चर्चा में ?
corona virus से संबधित महत्वपूर्ण जानकरी
कोरोना वायरस ( corona virus ) से पूरी दुनिया में अब तक 1.65 लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. 24 लाख से अधिक लोग बीमार हैं. कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि यह चमगादड़ों से इंसानों में आया. जबकि, कुछ लोग कह रहे हैं कि इसे प्रयोगशाला में बनाया गया है . लेकिन आपको बता दे डॉ. जून अल्मीडा महिला वैज्ञानिक के बारे में , जिसने पहली बार कोरोना वायरस की खोज की थी.
56 साल पहले डॉ. जून अल्मीडा ने की थी कोरोना वायरस की खोज जिसकी यह पहली तस्वीर है |

आइये जानते है डॉ. जून अल्मीडा के बारे में विस्तार से | corona virus news
बात है 1964 की यानी आज से 56 साल पहले की. एक महिला वैज्ञानिक अपने इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप में देख रही थी. तभी उन्हें एक वायरस दिखा जो आकार में गोल था और उसके चारों तरफ कांटे निकले हुए थे. जैसे सूर्य का कोरोना. इसके बाद इस वायरस का नाम रखा गया कोरोना वायरस. गरीबी की हालत के कारण छोड़ दी थी पढाई .
अलमेडा ने डॉक्टरी का जो कोर्स किया था, उसमें उनकी विशेषज्ञता वायरस ही थे. वो वायरोलॉजिस्ट थीं. उनका जन्म स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर के एक बहुत मामूली परिवार में हुआ था. डॉ. जून अल्मीडा ने जिस समय कोरोना वायरस की खोज की थी, तब उनकी उम्र 34 साल की थी. उनके पिता ड्राइवर थे. परिवार की हालत के कारण ही उन्हें 16 साल की उम्र के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी. उन्होंने ग्लासगो शहर की एक लैब में बतौर तकनीशियन नौकरी करनी शुरू की.
फिर कर लिया प्रेम विवाह
कुछ समय बाद वह वहां से लंदन चली गईं. इसी बीच उन्हें वेनेज़ुएला के कलाकार एनरीके अलमेडा से प्यार हुआ और उन्होंने 1954 में उससे शादी कर ली. जब उनकी बेटी हुई तो उन्होंने कनाडा के टोरंटो शहर का रुख किया. इन्होने HIV की पहली हाई-क्वालिटी तस्वीर भी निकाली है .
लंदन आने के बाद डॉ. जून अल्मीडा ने डॉ. डेविड टायरेल के साथ रिसर्च करना शुरू किया. उन दिनों यूके के विल्टशायर इलाके के सेलिस्बरी क्षेत्र में डॉ. टायरेल और उनकी टीम सामान्य सर्दी-जुकाम पर शोध कर रही थी. डॉ. टायरेल ने बी-814 नाम के फ्लू जैसे वायरस के सैंपल सर्दी-जुकाम से पीड़ित लोगों से जमा किए थे. लेकिन प्रयोगशाला में उसे कल्टीवेट करने में काफी दिक्कत आ रही थी.
पहला शोधपत्र खारिज भी कर दिया गया
परेशान डॉ. टायरेल ने ये सैंपल जांचने के लिए जून अल्मीडा के पास भेजे. अल्मीडा ने वायरस की इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप से तस्वीर निकाली. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी बताया कि हमें दो एक जैसे वायरस मिले हैं. पहला मुर्गे के ब्रोकांइटिस में और दूसरा चूहे के लिवर में. उन्होंने एक शोधपत्र भी लिखा, लेकिन वह रिजेक्ट हो गया. अन्य वैज्ञानिकों ने कहा कि तस्वीरे बेहद धुंधली हैं.
लेकिन, डॉ. अल्मीडा और डॉ. टायरेल को पता था कि वो एक प्रजाति के वायरस के साथ काम कर रहे हैं. फिर इसी दौरान एक दिन अल्मीडा ने कोरोना वायरस को खोजा. सूर्य के कोरोना की तरह कंटीला और गोल. उस दिन इस वायरस का नाम रखा गया कोरोना वायरस. ये बात थी साल 1964 की. उस समय कहा गया था कि ये वायरस इनफ्लूएंजा की तरह दिखता तो है, पर ये वो नहीं, बल्कि उससे कुछ अलग है.
डॉ. जून अल्मीडा 1985 में योगा टीचर बन गईं, दूसरी शादी भी की
1985 तक डॉ. जून अल्मीडा बेहद सक्रिय रहीं. दुनियाभर के वैज्ञानिकों की मदद करती रहीं. एंटीक्स पर काम करने लगीं. इसी बीच उन्होंने दूसरी बार एक रिटायर्ड वायरोलॉजिस्ट फिलिप गार्डनर से शादी की. डॉ. जून अल्मीडा का निधन 2007 में 77 साल की उम्र में हुआ. लेकिन उससे पहले वो सेंट थॉमस में बतौर सलाहकार वैज्ञानिक काम करती रहीं.
उन्होंने ही एड्स जैसी भयावह बीमारी करने वाले एचाआईवी वायरस की पहली हाई-क्वालिटी इमेज बनाने में मदद की थी. अब उनकी मृत्यु के 13 साल बाद दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस संक्रमण को समझने में उनकी रिसर्च की मदद मिल रही है.

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